शेयर बाजार जैसे बड़े बाजार को निगरानी करने के लिए एक मजबूत संस्था की आवश्यकता शुरुआत से ही थी। इसी कमी को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने सेबी जैसी बड़ी संस्था का निर्माण किया गया। लेकिन सेबी क्या है, इसका क्या रोल है और किस प्रकार ये निवेशकों के हित का सोचता है
इस प्रकार, सेबी की स्थापना शेयर बाजार की गतिविधियों को निगरानी करने के उद्देश्य से की गई थी। अगर आप शेयर बाजार में नए हैं या ट्रेड करते हैं तो आपको सेबी के बारे में पूरी जानकारी रखनी होगी।
इस लेख में, हम Sebi Meaning in Hindi, Full Form, Chairman, अधिकार और शक्तियों इत्यादि के बारे में चर्चा करेंगे।
किसी भी बाजार या बिज़नेस को मॉनिटर करने के लिए एक संस्था की आवश्यकता होती है। जैसे भारत में बैंको को मॉनिटर करने के लिए RBI है, उसी तरह शेयर बाजार को मॉनिटर करने के लिए सेबी अस्तित्व में आया।
सेबी के आने से पहले, मार्केट में धोखाधड़ी या स्कैम बहुत सामान्य बात थी। आपको हर्षद मेहता का स्कैम तो याद ही होगा। कैसे हर्षद मेहता ने इनसाइडर ट्रेडिंग और अन्य इलीगल प्रैक्टिस के जरिए स्कैम किया था।
शेयर बाजार में बढ़ते धोखाधड़ी और स्कैम के कारण ही एक ऐसी संस्था की सिफारिश की गयी, जो ट्रेडर्स और निवेशकों की शिकायतों को सुने और धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति या कंपनी पर जुर्माना लगाये या प्रतिबंध करें।
इन सब कारणों का विश्लेषण करते हुए, सरकार ने एक संस्था को स्थापित करने का फैसला लिया, जो देश में प्रतिभूति बाजार (Securities Market) के नियामक (Regulator) के रूप में काम करता हो।
अंत में, सेबी की स्थापना 31 जनवरी, 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम (Securities and Exchange Board of India Act), के अनुसार वैधानिक निकाय के रूप में लागू हुई।
इसके साथ ही, सेबी ने शेयर बाजार के नियम लागू किए और वित्तीय बाजार (Financial Market) में स्टॉक एक्सचेंज और म्यूचुअल फंड आदि के मामलों को नियंत्रित करने लगा।
आपको पता होना चाहिए कि एक ब्रोकर को ट्रेडिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए सेबी के साथ रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है।
अभी आपको एक संक्षिप्त जानकारी मिल गयी होगी कि सेबी क्या है और क्यों इसकी आवश्यकता पड़ी। चलिए अब आगे Sebi Meaning in Hindi (सेबी का अर्थ) को समझते हैं।
सेबी, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया, एक नियामक संस्था है, जो सिक्योरिटीज मार्केट में स्टॉक के ट्रांजेक्शन को रेगुलेट करती है।
यह यूएस में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ऑपरेटिव के सामान है।
चार्टर के अनुसार, सेबी तीन मुख्य समूहों का जारीकर्ता है:
यह संस्था इन तीनों समूहों को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सेबी संगठनात्मक संरचना (Sebi Organizational Structure)
सेबी बोर्ड में कुल नौ सदस्य शामिल हैं:
सेबी का फुल फॉर्म सिक्योरिटी एक्सचेंज एंड बोर्ड ऑफ़ इंडिया होता है। जिसे “भारतीय प्रतिभूति और विनयम बोर्ड” भी कहा जाता है।
सेबी का मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार में निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना है। साथ ही, यह संस्था, ट्रेडर्स और निवेशकों को किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी और स्कैम के खिलाफ मदद प्रदान करती है।
इसे स्थापित करने के पीछे मुख्य कारण शेयर बाज़ार को संरक्षण देना और निवेशकों के हितो की रक्षा करना था ।
यह आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 में स्थापित की गयी थी। वर्ष 1992 में, भारतीय संसद द्वारा सेबी एक्ट 1992 के पारित होने के साथ इसे वैधानिक शक्तियां दी गई थीं।
SEBI का मुख्यालय मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में है। इसके नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
सेबी के अस्तित्व में आने से पहले कंट्रोलर ऑफ़ कैपिटल इश्यूज (Controller of Capital Issues) एक नियामक प्राधिकरण (Regulatory Authority) था। इसे कैपिटल इश्यूज़ (कंट्रोल) एक्ट, 1947 के तहत अधिकार दिया गया।
शुरुआत में, सेबी बिना किसी वैधानिक शक्ति के एक गैर वैधानिक निकाय था।हालाँकि 1995 में, सेबी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 में संशोधन के माध्यम से भारत सरकार द्वारा अतिरिक्त वैधानिक शक्ति प्रदान की गई थी।
अप्रैल, 1988 में सेबी का गठन भारत सरकार के एक प्रस्ताव के तहत भारत में पूंजी बाजार के नियामक के रूप में किया गया था।
भारत सरकार ने संसद में सेबी अधिनियम (एक्ट) 1992 पारित किया,जिससे सेबी को गैर-संवैधानिक से संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
सेबी एक्ट 1992 के अनुसार, इसमें स्टॉक एक्सचेंज और अन्य प्रतिभूति बाजारों (सिक्योरिटीज मार्केट) के रेगुलेशन को नियंत्रण करने की शक्ति है।
यह स्टॉकब्रोकर, सब-ब्रोकर्स, रजिस्ट्रार, ट्रस्टी, बैंकर्स से एक इश्यू, पोर्टफोलियो मैनेजर और अन्य बिचौलियों के प्रदर्शन को नियंत्रित और ऑडिट भी करता है।
इसके अलावा, यह निम्नलिखित को भी नियंत्रित करता है।
सेबी के पास शेयर बाजार को प्रबंधित करने के लिए कुछ शक्तियां एवं कार्य निर्धारित किये गए है। नीचे सेबी की शक्तियों और कार्य के बारे में बताया गया है।
सेबी के कार्यों को सेबी एक्ट, 1992 में संवैधानिक निकाय के रूप में इसकी स्थापना के बाद सूचीबद्ध किया गया है। इसकी प्रमुख भूमिका भारत के पूंजी शेयर बाजार में तीन पक्षों (सिक्योरिटीज, ट्रेडर्स और निवेशक, मध्यस्थ) की जरूरतों को पूरा करना है।
सेबी के कार्य को व्यापक रूप से नीचे वर्णित तीन भागों में विभाजित किया गया है:
1. सुरक्षात्मक कार्य
सेबी के कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं, जो निवेशकों के लिए एक सुरक्षित और पारदर्शी वातावरण बनाने में मदद करते हैं।
ट्रेडर्स पूंजी बाजार (कैपिटल मार्केट) का आधार होते हैं, इसलिए उनकी प्रमुख जिम्मेदारी अपने हितों की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी निवेशक किसी भी ट्रेड धोखाधड़ी का शिकार न बने।
इसके लिए, यह समय-समय पर कुछ सेमिनार और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जो ट्रेडर्स और निवेशकों दोनों को शिक्षित करने में मदद करता है और उनको उनके अधिकारों के बारे में बताता है।
चूंकि सेबी शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए लागू हुआ था। हालांकि, उतार-चढ़ाव वित्तीय बाजार का चलन है, लेकिन कभी-कभी कुछ उतार-चढ़ाव (मूल्य में हेराफेरी) पहले से ही कॉरपोरेट या कॉर्पोरेट समूह द्वारा तय किए गए होते हैं।
इस तरह के उतार-चढ़ाव से निवेशकों खास तौर पर नए निवेशकों को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है।
मूल्यों में हेराफेरी की घटनाओं को रोकने के लिए सेबी, एक प्रभावी भूमिका निभाता है। इसे रोकने के लिए सेबी ने एक सर्किट शुरू किया है।
दिन के क्लोजिंग के आकड़ों के विश्लेषण पर, सर्किट जिसे थ्रेशोल्ड भी कहा जाता है, सेबी द्वारा परिभाषित किया गया है।
यदि सुरक्षा मूल्य(सिक्योरिटी प्राइस) सर्किट वैल्यू से नीचे चला जाता है, तो सर्किट ब्रेकर की भूमिका सामने आती है और उस विशेष सिक्योरिटी का ट्रेड घंटों या पूरे दिन के लिए रुक जाता है।
कंपनी के शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव, पूर्व-घोषणा(Pre-Announcement) या कंपनी के अंदर किसी भी नयी खबर से अत्यधिक प्रभावित होता है।
इस तरह की खबरें आने के बाद, कंपनी के कुछ कर्मचारी कंपनी की सिक्योरिटी को पहले ही बेच देते हैं या खरीद लेते हैं।
इस तरह के ट्रेडिंग को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है। इनसाइडर ट्रेडिंग के उदाहरण लेख की समीक्षा करके आप इनसाइडर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
इसे रोकने के लिए, सेबी लिस्टेड कंपनियों के ट्रस्ट और कर्मचारी कल्याण योजनाओं(employee welfare schemes) को ब्लॉक कर देता है, जो उन्हें सेकेंडरी मार्केट से अपने खुद के शेयर खरीदने से रोकते हैं।
इसके अलावा, सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार, लिस्टेड कंपनियों को अपने कर्मचारियों के सामने लाभ योजनाओं (welfare schemes) को बताना होता है, जिसमें स्टॉक खरीद शामिल है और उन्हें ESOS और ESPS दिशानिर्देशों के अनुसार पंक्तिबद्ध करना होता है।
सेबी, शेयर बाजार में मध्यवर्ती निकाय (intermediate body) है, जिसकी जिम्मेदारी बाजार में सभी लेनदेन को सुचारू और सुरक्षित रूप से पूरा करना है।
इस प्रकार, यह पूंजी बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वित्तीय मध्यस्थ (Financial Intermediate) जैसे ब्रोकर, सब-ब्रोकर आदि की हर गतिविधि पर निगरानी करता है।
2. विकासात्मक कार्य (Developmental Functions)
यह भारतीय वित्तीय बाजार में नवीनता और रचनात्मकता लाता है। सेबी द्वारा कई विकासात्मक कार्य किए जा रहे हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
3. विनियामक कार्य (Regulatory Functions)
इसमें कॉर्पोरेट और वित्तीय मध्यस्थों के सेबी उपनियमों(bye-laws) का प्रवर्तन शामिल है। यह स्टॉक मार्केट को सुचारू और पारदर्शी कामकाज को सुनिश्चित करता है।
कुछ नियामक कार्य (Regualtory function) इस प्रकार हैं:
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास निम्नलिखित तीन शक्तियां होती हैं।
यदि सेबी ट्रेड में किसी भी धोखाधड़ी गतिविधि में आता है, तो उसे SEBI PACL के मामले में सुनवाई करने और निर्णय पारित करने का अधिकार है।
यह पूंजी बाजार के लिए बेहतर पारदर्शिता, निष्पक्षता, जवाबदेही और विश्वसनीयता प्रदान करता है।
यह SEBI LODR के एक नियम के अनुसार निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियमों और विनियमों का मसौदा तैयार करने की शक्ति रखता है।
सेबी LODR इक्विटी बाजार सहित वित्तीय बाजार के विभिन्न क्षेत्रों के सभी सूचीबद्ध समझौतों के प्रावधान को मजबूत और सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है।
इस प्रकार के विनियमन को धोखाधड़ी या किसी भी प्रकार के कदाचार से बचाने के लिए रखा जाता है।
इस अधिकार के तहत नियमों और विनियमों का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ मामला दर्ज करने का पूर्ण अधिकार है।
इसके साथ ही, यह संदिग्ध गतिविधि का सबूत इकट्ठा करने के लिए अकाउंट बुक और अन्य विवरणों की जांच करने का अधिकार रखता है।
पूंजी बाजार एक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा है, जो लंबी अवधि(long-term) के निवेश से निपटने के लिए धन जुटाने के लिए चलाया जाता है।
यह पूंजी बाजार(Capital Market) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस निकाय की कुछ प्रमुख भूमिकाएँ हैं:
वर्तमान में, सेबी के चेयरमैन श्री अजय त्यागी है। सेबी के अध्यक्ष को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
हालाँकि, इनका कार्यकाल 1 मार्च 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन सरकार ने इनके कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है।
सेबी के चेयरमैन 5 वर्ष या 65 वर्ष पूरा होने तक कार्यकाल में रह सकते हैं (दोनों में से जो भी पहले पूर्ण हो जाए )। हालाँकि, सरकार ने इनके कार्यकाल को 2 साल कम करने के फैसला किया है।
जिससे वर्तमान सेबी अध्यक्ष का कार्यकाल केवल 3 साल तक का है।
स्टॉक एक्सचेंज जैसे एनएसई, बीएसई आदि के काम में पारदर्शिता लाने के लिए सेबी, प्राथमिक बाजार, आईपीओ, निवेशक सुरक्षा, आदि के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश पेश करता है।
यहां स्टॉक एक्सचेंज के विभिन्न कार्यों के लिए प्रमुख दिशानिर्देश दिए गए हैं।
कई कंपनियां सार्वजनिक रूप से जाना पसंद करती हैं। यह कई कारणों से हो सकता है जैसे बिज़नेस विस्तार, विविधीकरण, ऋण चुकौती, आदि।
IPO के रूप में कंपनी दाखिल करने के लिए, SEBI ICDR ने कुछ दिशानिर्देश दिए हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है।
1.Entry Norm I: लाभप्रदता मार्ग (Profitability Route)
आईपीओ के रूप में प्रवेश करने के लिए, कंपनी को नीचे दिए गए मानदंडों को पूरा करना चाहिए:
2. Entry Norm II: QIB Route
3. अन्य दिशानिर्देश
प्राथमिक बाजार के लिए सेबी के दिशानिर्देश निम्नलिखित हैं:
* सार्वजनिक मुद्दे से पहले, सेबी को प्रॉस्पेक्टस का एक ड्राफ्ट दिया जाना चाहिए।
* नई कंपनियों के शेयर को OTCEI या किसी अन्य स्टॉक एक्सचेंज के साथ सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
शेयर बाजार को विनियमित करने के अलावा, सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा करने में भी शामिल है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, कुछ दिशानिर्देश नीचे सूचीबद्ध हैं:
सेबी कानून और विनियम सेबी एक्ट, 1992 के अनुसार लागू करता है। सभी कानूनों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए, जो भारत में शेयर बाजार और अन्य सिक्योरिटीज के साथ डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से जुड़े हुए हैं।
ये नियम सुनिश्चित करते हैं कि स्टॉक एक्सचेंज और अन्य सिक्योरिटीज पर सभी ट्रेड सुरक्षित और सही तरीके से किए जाते हैं।
यहाँ कुछ संक्षिप्त सेबी कानूनों और नियमों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है।
सेबी (इनसाइडर ट्रेडिंग का निषेध) रेगुलेशन, 2015 नए नियमों और प्रावधानों को प्रस्तुत करता है जो कि इनसाइडर द्वारा सिक्योरिटीज के ट्रेड को प्रतिबंधित करते हैं। साथ ही, यह कानूनी ढांचे को मजबूत करता है और इस प्रकार ट्रेड में अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा प्रदान करता है।
LODR नियम: सेबी LODR (Listing Obligations and Disclosure Requirement), विनियमन भारत के स्टॉक एक्सचेंजों के साथ पंजीकृत सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा अनिवार्य अनुपालन से निपटने का प्रावधान प्रदान करता है।
ICDR नियम: सेबी ICDR (Issue of Capital and Disclosure Requirements) विनियमन 2009 में पेश किया गया था। यह भारत की सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा किए गए पूंजी और खुलासे से संबंधित मामले से निपटने के प्रावधान को नियंत्रित करता है।
यह विनियमन सूचीबद्ध कंपनियों और निवेशकों दोनों के लिए ट्रेड को सुरक्षित, सही और लाभकारी बनाने के लिए है।
सेबी SAST नियम: सेबी SAST (Substantial Acquisition of Shares and Takeovers) नियम, 2011 को स्टॉक और अधिग्रहण की कानूनी और रिकवरी से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए तैयार किया गया है।
सेबी ने निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। इसमें आम जनता टोल फ्री नंबर 1800 266 7575 या 1800 22 7575 पर कॉल कर के सिक्योरिटीज मार्केट से सम्बंधित प्रश्न पूछ सकती है।
यह टोल फ्री हेल्पलाइन सेवा पूरे भारत के निवेशकों के लिए उपलब्ध है। यह सेवा 8 भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, गुजराती, तमिल, बंगाली, तेलुगु और कन्नड़ शामिल है।
टोल फ्री हेल्पलाइन सेवा 9:00 बजे से 6:00 बजे (घोषित छुट्टियों को छोड़कर) सभी दिनों पर उपलब्ध है।
इसके अलावा, आप 26449199/40459188/40459199 पर भी संपर्क कर सकते हैं या sebi@sebi.gov.in पर ई-मेल भेज सकते हैं।
निवेशकों को निम्नलिखित सेवाएं टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर पर उपलब्ध हैं।
सेबी को ट्रेडिंग में निष्पक्षता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था। सेबी की स्थापना के बाद से ही, यह सुधार लाने के लिए नए कानूनों और नियमों का पेश कर रहा है।
यह स्टॉक मार्केट को अपग्रेड करता है और इसे ट्रेडिंग के लिए अधिक सुरक्षित और आदर्श बनाता है।
बीते वर्षों के दौरान ट्रेडिंग मार्केट में सबसे अच्छा बदलाव फिजिकल ट्रेडिंग के जगह इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग का आना है।
इसके अलावा, यह शेयर बाजार की नियामक प्रणाली को मजबूत करता है। यह भारतीय सिक्योरिटी मार्केट में मजबूती प्रदान करता है, जो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की ओर अधिक निवेशकों को आकर्षित करता है।
साथ ही, स्टॉक एक्सचेंज में शामिल व्यवसाय के नियमन में इसकी भूमिका ट्रेड में निवेशकों के हितों की रक्षा करती है।
अंत में, सेबी एक शक्तिशाली निकाय है जो स्टॉक एक्सचेंजों और पूंजी बाजार में धोखाधड़ी के जोखिमों को कम करता है।
यदि आप अपने स्टॉक मार्केट निवेश के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो हमें आपको अगले कदम उठाने में सहायता करने दें।
अपनी मूलभूत जानकारी दर्ज करें और कॉल प्राप्त करें।